आयु के अनुरूप गतिविधियाँ- योग्यता, क्षमता का विकास, बच्चों को समझने और उनको पढ़ा ले ऐसी योजना बनाना।
1. प्रयोगशालाओं का अधिक से अधिक प्रयोग करे, क्रियाधारित शिक्षण करें।
2. शिक्षण सहायक सामग्री का अधिकतम प्रयोग करें,।
3. आचार्य अपना स्वाध्याय करें उसी के साथ पाठयोजना बनाकर क्रियाकलाप तय करें (पंचपदी के अनुसार पाठ योजना बनाएं)
4. तकनीकी का प्रयोग करें- Samrt class, projector लैपटाप व इन्टरनेट का प्रयोग करें। PPT के माध्यम से कक्षाए पढ़ायें।
5. कक्षा पुस्तकालय का प्रयोग करें (संदर्भ पुस्तक, अभ्यास पुस्तिकायें)
6. मासिक वर्ग- शैक्षिक स्तर पर तय करना, विभागाध्यक्ष सभी विषय आचार्यां का प्रशिक्षण कराये। विषयशः समूह बनाकर विषय विशेषज्ञ बुलाये एवं विभागाध्यक्ष मार्गदर्शन करें। साप्ताहिक प्रशिक्षण विभागाध्यक्ष एवं मासिक प्रशिक्षण-विशेषज्ञ द्वारा।
- विषय अनुसार प्रयोगशाला (विषय कक्ष का निर्माण करना)
- विषयशः समूह चर्चा कराना, एवं प्रश्नमंच का आयोजन कराना।
- प्रश्नों का निर्माण कराना, प्रश्न मंच के द्वारा उत्तर ज्ञात कराना।
- वर्ष के प्रारम्भ में विषयाचार्य इकाईशः पंचपदी की योजना लिपिबद्ध करें और उसमें सहायक सामग्री (जो निर्माण करना है) क्रियाकलाप तैयार करना।
- विषयाचार्य पाठशः Project work तैयार करें।
- कमजोर छात्रों के लिये- प्रोजेक्ट, क्रियाकलाप, सहायक सामग्री अलग से तय करना।
- अच्छे छात्रों द्वारा कमजोर छात्रों का अध्यापन कार्य करायें।
- प्रश्नशः पूरी पुस्तक की तैयारी करें (जैसे- खाली स्थान, विकल्प, हाँ या ना में उत्तर)
- 10वी-12वीं को परीक्षा परिणाम के लिये पढ़ाये, शेष कक्षाओं में ज्ञानवृद्धि के आधार पर अध्ययन अध्यापन करायें।
- निदानात्मक एवं उपचारात्मक निदान के आधार पर पढ़ायें।
- प्रतिभाशाली छात्रों के लिये -राष्ट्रीय प्रतिभा खोज एवं ओलम्पियाड की तैयारी करायें।
- प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के आधार पर शिक्षण प्रक्रिया अपनाएं।
- विषय वस्तु का विभाजन सरल से कठिन की ओर करें (प्रारम्भ में ही)
- पाठयक्रम को प्रारम्भ करने से पूर्व आधार पाठ्यक्रम Fundamental तैयार करना।
- प्रश्न बनाना- उत्तर लिखवाना, यह अभ्यास कक्षा में कराना कभी-कभी उत्तरों से प्रश्न निकालना।(Fundamentals Class)