विद्या भारती का कार्य कई वर्षों से चलने के कारण अपने विद्यालयों में पढ़े हुए छात्र बड़ी संख्या में समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं | इन पूर्व छात्रों से सतत संपर्क बना रहे, इस उद्देश्य से सभी विद्यालयों में एवं प्रांतीय स्तर पर "पूर्व छात्र परिषदों" का संगठन सक्रिय है | इससे उनके संस्कारों का तो पुनर्जागरण होता ही है, साथ ही विद्या भारती के अनेक सेवा प्रकल्पों में उनकी व्यक्तिगत तथा आर्थिक रूप में सक्रिय सहभागिता रहती है |प्रांत में हजारों की संख्या में पूर्व छात्र सक्रिय हैं |
करणीय कार्य
पूर्व छात्र परिषद के करणीय कार्य
सत्र 2016-17
विद्यालय में पूर्व छात्रों की वृहद टोली होती है, अधिकतम पूर्व छात्र सक्रिय हो इस हेतु पूर्व छात्र परिषद के करणीय कार्यो की सूची दी जा रही है। कार्याे का उचित प्रकार से विभाजन किया जा सकता है। प्राचार्य अथवा वरिष्ठ आचार्य पूर्व छात्रों की गतिविधियों मे सहभाग एवं निगरानी रखेंगे तो कार्य उत्त्म प्रकार से संचालित हो सकेगा। पूर्व छात्र परिषद की विद्यालय ईकाइ का गठन कर पूर्व छात्रों को इन कार्यांे के प्रति जागृत करना। स्वपोषी छात्रों की सक्रियता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता रहती है।
विद्यालय स्तर पर
- अपने विद्यालय से संपर्क,कार्यक्रम में सहभाग,व्यवस्थापन में सहयोग
- विद्यालय के वर्तमान छात्रों को शैक्षिक सहयोग
- कैरियर काउंसिलिंग
- कक्षा में शैक्षिक प्रबोधन
- विषयों का अध्यापन
- विशेष कक्षायें आयोजित करना।
विद्यालयकेन्द्रित कार्यक्रम
- स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालय में स्वच्छता अभियान एवं प्रबोधन
- ग्रीन इंडिया क्लीन इंडिया के विषय मे वृक्षारोपण एवं सुंदर विद्यालय का प्रयास।
- बिजली बचत हेतु प्रबोधन एवं विद्यालय में एलईडी बल्ब लगाने का अभियान।
- जल बचत हेतु प्रोत्साहन, विद्यालय में बरसात के पानी का सदुपयोग एवं रिचार्जिग व्यवस्था।
- विद्यालय में छोटी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण एवं उपयोग।
- वृक्षारोपण, साक्षरता, पल्स पोलियो, समग्र स्वच्छता, जल संरक्षण, जैविक खेती,योग जैसे समसायिक विषयों पर जागरण।
वैचारिक प्रबोधन
-शिशु मंदिर के वैचारिक अधिष्ठान को स्थापित करना
- whatsup Facebook पर पूर्व छात्रों के ग्रुप बनाकर संपर्क स्थापित करना।
- सोशल मीडिया में विद्याभारती के पक्ष को दृढता से रखना।
- समाज के अच्छे लोगों तक सरस्वती शिशु मंदिर की पहुच बने इस का प्रयास।
- शिक्षा स्वायत्ता के विषयों पर सेमिनार आयोजित कर शिक्षाविदों से संपर्क करना।
- शिक्षकों हेतु समय समय पर शैक्षिक गोष्ठियों का आयोजन करना।
- सत् साहित्य का प्रसार - देवपुत्र, प्रदीपिका, पांचजन्य,लघु पुस्तकालयों का निर्माण।
- हिन्दुत्व के विषय- वर्ष प्रतिपदा, हिन्दु साम्राज्य दिवस, अखंड भारत दिवस,भारतमाता पूजन, गौ संरक्षण पर कार्यक्रम।
सेवा कार्यो में
- संस्कार केन्द्र के संचालन में सहयोग। सेवावस्ती के विद्यालयों में सहयोग।
- एकल विद्यालयों के संचालन मे सहयोगी, समर्पण में सहयोगी।
- सेवा के अन्य कार्य -प्याउ संचालन, अनाथ बच्चों के केन्द्र,ब्लडबैंक स्थापना, अस्पताल में फल वितरण, निशक्तों की सहायता, गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था।
- गरीब छात्र छात्रवृत्ति योजना
संगठन
- विविध श्रेणीयों के पूर्व छात्रों की पृथक-2 बैठके। गठन।
- जिला/विभाग/प्रांत बैठकों में स्तरानुसार सहयोग।
- पूर्व छात्रों के नाम पते संग्रह आदि
नियम विधान
पूर्व छात्र परिषद
नियम विधान
सत्र 2010-11
संस्था का नाम - विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद् ................................... होगा ।
संस्था का पता -
कार्यक्षेत्र -
उद्देश्य 1. विद्या भारती से संबद्ध विद्यालयों में अध्ययन पूर्ण कर चुके विद्यार्थियों का संगठन खड़ा करना।
2. ऐसे सभी पूर्व छात्रों को संगठित कर उन्हे समाज कार्य एवं राष्ट्रीय चेतना के कार्य में संलग्न करना ।
3. विद्यालय के विकास हेतु नीति बनाना एवं उस दिशा में विद्यालय की प्रबंध समिति के साथ समन्वय स्थापित कर विद्यालय विकास में सहभागी बनना ।
4. समाज के एकसे सभी कार्य करना, जो समाज को सुदृढ़ बनाते हों, यथा- शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, समरसता, व्यवसायिक शिक्षण /प्रशिक्षण इत्यादि ।
5. राष्ट्रीय चेतना के विकास हेतु राष्ट्रीय त्यौहार/राष्ट्रीय उत्सवों में सहभागिता प्रदर्शित करना ।
6. समान विचारधारा एवं कार्य प्रणाली से चलने वाली प्रादेशिक एवं अखिल भारतीय संस्थाओं से सबंद्धता स्थापित कर परस्पर सहयोग से भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों का विकास एवं प्रसार करना ।
संगठनात्मक रचना:-
1. सदस्यताः-
1.1 पंजीकृत सदस्य- विद्या भारती के किसी भी विद्यालय से न्यूनतम एक वर्ष अध्ययन पूर्ण कर अन्यंत्र जाने वाले विद्यार्थी को पूर्व छात्र परिषद् का पंजीकृत सदस्य विद्यालय द्वारा बनाया जावेगा। इसका सदस्यता शुल्क 20 रूपये रहेगा । पंजीकृत सदस्यता केवल एक बार होगी ।
2. इकाईः-
2.1 स्थानीय इकाई - प्रत्येक विद्यालय की पूर्व छात्र परिषद की इकाई गठित की जावेगी । इसमें अध्यक्ष, 3 उपाध्यक्ष, सचिव, 3 सहसचिव, कोषाध्यक्ष एवं 6 सदस्य सहित 15 सदस्यीय कार्यकारिणी होगी । विद्यालय के प्राचार्य, प्रभारी प्राचार्य एवं प्रबंध समिति के सचिव इसके संरक्षक होंगी ।
2.2 प्रान्तीय इकाई - प्रान्तीय इकाई भी उपरोक्तानुसार ही गठित होगी । स्थानीय इकाई एवं प्रान्तीय इकाई का कार्यकाल दो वर्ष होगा तथा सत्र वर्ष चैत्र सुदी एकम से प्रारम्भ माना जाएगा । प्रान्तीय इकाई के संरक्षक सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के पदेन, प्रादेशिक सचिव होंगे ।
2.3 पूर्व छात्र परिषद के जिला प्रमुख एवं विभाग प्रमुख, विद्यालयों के प्राचार्य होंगे, जबकि जिला संयोजक, सह संयोजक तथा विभाग संयोजक, सहसंयोजक पूर्व छात्रों में से ही होंगे जिला/ विभाग की कोई स्वतंत्र कार्यकारिणी नहीं होगी ।
4. यथा संभव पूर्व छात्राओं को भी कार्यकारिणी में स्थान दिया जा सकता है । कार्य विस्तार की दृष्टि से पूर्व छात्राओं की स्वतंत्र कार्यकारिणी भी बनाई जा सकती हैं ।
5. कार्य के दृढि़करण हेतु सत्रशः/श्रेणीशः दायित्व भी दिये जा सकते हैं ।
6. विद्यालय इकाई/ प्रान्तीय ईकाई या अन्य दायित्ववान कार्यकर्ता को किसी भी विद्यालय का वार्षिक सदस्य होना अनिवार्य रहेगा ।
नियुक्ति / विमुक्ति - ’ विद्यालय इकाई का गठन प्राचार्य/ व्यवस्थापक एवं पूर्व छात्र परिषद के विभाग/जिला संयोजक की उपस्थिति में पूर्व छात्रों की बैठक में होगा । बैठक का आयोजन प्राचार्य की देखरेख में होगा। विशेष स्थितियों में पूर्व छात्र परिषद की प्रान्तीय इकाई की अनुमति से स्थानीय प्राचार्य/ व्यवस्थापक स्थानीय इकाई में परिवर्तन कर सकंेगे ।
कार्यक्रम:- 1. संगठनात्मक:-
क. स्थानीय कार्यकारिणी बैठक (मासिक) ।
ख. जिला बैठक (त्रैमासिक) - इसमें जिले के अन्य विद्याालयों की ईकाईयों के अध्यक्ष, सचिव, जिला संयोजक, जिला प्रमुख एवं विभाग संयोजक/विभाग प्रमुख आमंत्रित रहेगें ।
ग. प्रान्तीय बैठक (अर्द्धवार्षिक) - इसमें प्रान्तीय कार्यकारिणी, विभाग प्रमुख, विभाग संयोजक, सहसंयोजक, जिला संयोजक, सहसंयोजक आमंत्रित रहेंगे ।
घ. कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग/प्रशिक्षण वर्ग (जिला/ विभाग, प्रान्त, स्तर पर) ।
2. कार्यक्रमात्मक:-
क. वर्ष प्रतिपदा उत्सव ।
ख. दायित्व बोध समारोह (इकाई का शपथ ग्रहण समारोह)
ग. रक्षाबंधन ।
घ. दीपावली मिलन समारोह ।
ड़ 12 जनवरी युवा दिवस ।
3. प्रतिनिधित्वात्मक:-
क. स्थानीय इकाई के पूर्व छात्रों का मिलन समारोह ।
ख. जिला सम्मेलन ।
ग. प्रान्तीय सम्मेलन (श्रेणीयः बैठकें)
4. रचनात्मक:-
क. सेवा गतिविधियां (विशेषकर संस्कार केन्द्र संचालन में सहयोग एवं समर्पण) ।
ख. ग्रीष्मकालीन शिविर ।
ग. मेघावी/प्रतिभा अभिनंदन समारोह ।
घ. संस्कृति बोध परियोजना की गतिविधियों में सहयोग ।
ड़ विद्या भारती की अन्य योजनाओं में सहभागिता ।
वित्त व्यवस्था:- 1. विद्यालय की पूर्व छात्र परिषद इकाई का बैंक खाता हो जिसका संचालन प्रबंध समिति के व्यवस्थापक, प्राचार्य एवं पूर्व छात्र परिषद की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष में से किन्हीं दो के संयुक्त हस्ताक्षर से हों । जिसमें इकाई अध्यक्ष अनिवार्य हो । स्थानीय इकाई का आय-व्यय का लेखा-जोखा प्राचार्य की देख-रेख में विद्यालय के लेखापाल करें ।
2. प्रान्तीय पूर्व छात्र परिषद का भी बैंक खाता हो, जिसका संचालन प्रान्तीय पूर्व छात्र परिषद के कोषाध्यक्ष व सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के दो पदाधिकारियों में से किन्हीं दो के संयुक्त हस्ताक्षर से हो । इसका लेखा-जोखा प्रान्तीय कार्यालय में ही रखा जावें ।
3. पंजीकृत सदस्यता शुल्क व वार्षिक सदस्यता शुल्क की रसीद पुस्तिकाएं प्रान्त से उपलब्ध होंगी।
4. अन्य कार्यक्रमों के लिए स्थानीय इकाई धन संग्रह/रसीद पुस्तिका छपवा सकती है, लेकिन इसकी अनुमति विभाग समन्वयक से लेना होगी ।
5. भैया-बहिनों के विद्यालय से स्थानंातरण होने पर (टी.सी. प्रदान करते समय) उनका स्थायी पंजीयन (पूर्व छात्र परिषद का) किया जाए, इसकी व्यवस्था प्रत्येक विद्यालय सुनिश्चित करें।
6. प्रत्येक विद्यालय इकाई स्थायी पंजीयन शुल्क/वार्षिक सदस्यता शुल्क से प्राप्त राशि का उपयोग केवल पूर्व छात्रों के प्रवास योजना व पत्र व्यवहार संपर्क में ही करें, अन्य कार्यक्रमों के लिए यथा संभव धन संग्रह किया जा सकता है, या विद्यालय समिति द्वारा आवंटित राशि में से व्यय किया जा सकता है ।