वन्दना एवं बालसभा

वन्दना एवं बालसभा

 
वन्दना का स्वरुप (अधिकतम समय सीमा - एक कालांश 30 -35 मिनट)
1.  समय की निश्चता होनी चाहिए।
2. वन्दना में संगीत वाद्ययंत्रो का उपयोग होना चाहिए।
3. वन्दना सस्वर उच्चारण अर्थ एवं भावार्थ किन्ही दो श्लोकों का प्रतिदिन ।
4. वन्दना समय में भैया/बहिनो/आचार्यो के जन्म दिन का आयोजन।
5. महापुरुषों की जयंती/पुण्यतिथि के दिन सभाकक्ष के चित्र पर माल्यार्पण एवं संक्षिप्त जीवन परिचय को भी शामिल करना चाहिए।
6. हर दिन पावन पुस्तक के आधार पर संस्मरण बताना चाहिए।
7. सप्ताह में एक दिन किसी संत, महात्मा का प्रवचन या स्वास्थ्य संबंधी चर्चा किसी चिकित्सक निश्चत विषय पर होना चािहए।
8. प्रार्थना समय में मासिक गीत, भजन का अभ्यास होना चाहिए ।
9. गणवेश पालन, बिलम्ब से आने वालों छात्रों की अलग से पक्ति बताना।
10. नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आमंत्रित करके दीप प्रज्जवलन /अध्यक्षता कराना चाहिए ।
11. ऐसे भैया/बहिन जा संगीत की जानकारी रखते है। उनके दल से प्रार्थना, गीत, भजन का अभ्यास करवाना चाहिए।
12. दैनिक समाचार हिन्दी/अंग्रेजी के बोलना।
13. वंदना के कालांश में विज्ञान/सा.विज्ञान/गणित के प्रयोगों का प्रदर्शन होना चाहिए।
14. वन्दना की एस.ओ.पी. बनाकर वन्दना प्रमुख एवं प्राचार्य के पास होना चाहिए।

बालसभा:- 
1. बालसभा प्रथम शनिवार को एक विषय दूसरे शनिवार विभागशः, तृतीय शनिवार पूरे विद्यालय की होना चाहिए।
2. बालसभा में समाज के प्रतिष्ठत व्यक्तियों को बुलाना चाहिए।
3. बालसभा में स्वपोषी पूर्व छात्रों को सम्मिलित करना चाहिए।
4. बालसभा का उद्देश्य बहुआयामी हो, जिससे छात्र का समग्र विकास हो।
5. बालसभा में समस्त छात्रों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए ध्यान देना चाहिए।