प्रस्तावना- परम पवित्र नर्मदा के तट पर स्थित
- पूज्य बाबा बजरंगदास जी महाराज की तपोस्थली
- स्वामी तिलक जी की साधनास्थली चिचोटकुटी छीपानेर जिला हरदा मे
- स्वामी तिलक जी की महती इच्छानुरूप
- विद्याभारती एवं संस्कृतभारती मध्यभारत से अनुसिंचित तथा
- संघ विचार से अभिप्रेरित देष के प्रख्यात 9 गुरूकुलों के समान
- ‘‘वैदिक विद्यापीठम्’’ संस्कृत विद्यालय के नाम से स्थापना जो
- पूर्ण ख्याति के साथ, भविष्य में निर्माण करने की महती योजना से
- संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वानों एवं चिन्तकों द्वारा बनाया गया है ।
वैदिक विद्या पीठम् ने उद्देष्यों की पूर्ति करने हेतु निम्नवत् कार्य किये हैं:-
- संस्कृत सम्भाषण की कक्षा, वर्तमान में सभी विद्यार्थीयों ने आश्रम के वातावरण को संस्कृतमय बना दिया है
- 18 स्तोत्रों का कण्ठस्थीकरण कराया गया है । जैसे - श्री नर्मदाष्टकम्, श्री मधुराष्टकम्, श्री अन्नपूर्णास्तोत्रम्, श्री रामरक्षास्तोत्रम्, श्री रूद्राष्टकम्, श्री शिवपंचाक्षरस्तोत्रम्, श्री शिवमहिम्न स्तोत्रम्, श्री शिवतांडवस्तोत्रम्, श्री निर्वाणषटकम्, श्री महिषासुरमर्दिनी ।
- वेदों के ज्ञानार्जन में रूद्राष्टाध्यायी, मंगलमन्त्रः, श्रीगणेषाथर्वषीर्षः, श्रीसूक्तः, पुष्पांजलिः इत्यादि कराया गया।
- ग्रन्थों में ग्रन्थ - श्रीमद्भगवतगीता, सप्तषती एवं मूलरामायण के एक-एक अध्याय अर्थसहित बताये गये ।
- वैदिक गणित की 10 विधियों का ज्ञान कराया गया । निखिलं, न्युनं, अधिकेन इत्यादि ।
- संस्कृत के साथ अंग्रेजी सम्भाषण का भी तीन मासिक षिक्षण कराया गया ।
- मध्यप्रदेष निगम की पुस्तकों का अध्ययनपन कराया गया । जिसमें छः विषय संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सा.विज्ञान है,
- सर्वांगीण विकास हेतु अर्थात् आधारभुत विषय - शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए भी समय निकाल क्रियान्वयन करते हुए सतत् प्रयासरत है ।
- संस्कृतभारती, मध्यभारत द्वारा आयोजित - सरला संस्कृत परीक्षा में 14 विद्यार्थी तथा 1 आचार्य प्रतिभागी हुए ।