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हमारा उद्देश्य
सरस्वती शिशु मंदिर का उद्देश्य एक शब्द में निहित है - समग्र विकास | बालक के चरित्र का निर्माण विद्यालय में ही होता है, यहीं उसमें बीज डाले जाते है | ये बीज में भविष्य में भारत के निर्माण की संभावनाएँ लिए होते है , भले ही ठोस रूप से कुछ भी न दिखाई दे परंतु बालक का समग्र विकास करना चाहिए | इसी दृष्टि से उद्देश्य को एक शब्द में निरुपित किया गया है |
समग्र विकास के दो आयाम है :
1.पंचकोशात्मक व्यक्ति विकास अर्थात शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक विकास |
2. व्यक्ति से परमेष्टि तक का विकास अर्थात व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व, सृष्टि एवं परमष्टि के संदर्भ में विकास |
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