उद्देश्य

किसी भी देश की शिक्षा तब परिणामकारी होती है जब शिक्षा का स्वरूप उस देश के जीवन दर्शन पर आधारित होता है ; अर्थात देश का जैसा जीवनदर्शन वैसा ही शिक्षादर्शन होता है | इसलिए शिक्षा पद्धति भी उस देश के मनोविज्ञान पर आधारित होना चाहिए जिससे देश के विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण उस देश के अनुरूप हो सकेगा |

हमारे विद्यालय का मूल उद्देश्य भी भारतीय जीवनदर्शन-आधारित हिंदुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत शिक्षा प्रणाली का विकास करना है| हमारे विद्यालय के माध्यम से वर्तमान शिक्षा को भारतीय स्वरूप देने का प्रमुख कार्य किया जा रहा है |

वर्तमान भौतिक वादी युग में बलिकाओं के सर्वांगीण विकास (शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं अध्यात्मिक) की बहुत आवश्कता है | आज बालिकाएं शिक्षा प्राप्त करने के साथ - साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है | उनके भावी जीवन को सजाने - संवारने के लिए उन्हें योग्य वातावरण एवं सुनहरे अवसर प्रदान करने के लिए सरस्वती शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित बालिका आवासीय विद्यालय नरसिंह मंदिर जबलपुर में संचालित है |

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सरस्वती शिशु मंदिर का उद्देश्य एक शब्द में निहित है - समग्र विकास | बालक के चरित्र का निर्माण विद्यालय में ही होता है, यहीं उसमें बीज डाले जाते है | ये बीज में भविष्य में भारत के निर्माण की संभावनाएँ लिए होते है , भले ही ठोस रूप से कुछ भी न दिखाई दे परंतु बालक का समग्र विकास करना चाहिए | इसी दृष्टि से उद्देश्य को एक शब्द में निरुपित किया गया है |

समग्र विकास के दो आयाम है :

1.पंचकोशात्मक व्यक्ति विकास अर्थात शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक विकास |

2. व्यक्ति से परमेष्टि तक का विकास अर्थात व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व, सृष्टि एवं परमष्टि के संदर्भ में विकास |

  • शिक्षा का एक राष्ट्रीय प्रणाली विकसित करना जिसके कारण युवा पुरुषों और महिलाओं की एक पीढ़ी का निर्माण करने में सहायता मिलेगी ।
  • हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध हौ और देशभक्ति का जोश के साथ संचार ।
  • शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक रूप पूरी तरह से विकसित ।
  • सफलतापूर्वक दिन जीवन - स्थितियों की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम ।
  • गांवों , जंगलों, गुफाओं और मलिन बस्तियों में रहने वाले हमारे उन वंचित और बेसहारा भाइयों और बहनों को सामाजिक बुराइयों और अन्याय के बंधनों से मुक्त करवाना ।
  • इस प्रकार प्रति समर्पित , एक सामंजस्यपूर्ण, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए योगदान कर सकते हैं ।