विद्यालयकार्यक्रम

प्रान्त के कार्य

मध्य भारत प्रान्त में चलने वाले कार्य 
विद्या भारती मध्यभारत शैक्षिक दर्शन 
शैक्षिक चिंतन का अधिष्ठान -- हिन्दू जीवन दर्शन 
1. भारतीय शिक्षा दर्शन का विकास 
विद्या भारती एवं राष्ट्र भक्त शिक्षा शास्त्रियों का यह स्पष्ट मत है कि शिक्षा तभी व्यक्ति एवं राष्ट्र के जीवन के लिए उपयोगी होगी जब वह भारत के राष्ट्रीय जीवन दर्शन पर अधिष्ठित होगी जो मूलतः हिन्दू जीवन दर्शन है. अतः विद्या भारती ने हिन्दू जीवन दर्शन के अधिष्ठान पर भारतीय शिक्षा दर्शन का विकास किया है. इसी के आधार पर शिक्षा के उददेश्य एवं बालक के विकास के संकल्पना निर्धारित की है.
2. शिक्षण पद्धति का आधार - भारतीय मनोविज्ञान
शिक्षा पद्धति का निर्धारण मनोविज्ञान के द्वारा होता है. प्रचलित शिक्षण पद्धति का आधार पश्चीमी देशों में विकसित मनोविज्ञान है जो विशुद्ध भौतिकवादी दृष्टिकोण पर आधारित है. हिन्दू जीवन दर्शन पर आधारित भारतीय शिक्षा दर्शन के अनुसार बालक के सर्वांगीण विकास की अवधारणा विशुद्ध आध्यात्मिक है. परिपूर्ण मानव के विकास के संकल्पना पश्चिमी मनोविज्ञान पर आधारित शिक्षण पद्धति के द्वारा पूर्ण होना कदापि संभव नहीं है. अतः विद्या भारती ने भारतीय मनोविज्ञान का विकास किया है और उसी पर अपनी शिक्षण पद्धति को आधारित किया है तथा उसका नामकरण
 
ग्राम भारती मध्यभारत  
ग्राम भारती शिक्षा समिति द्वारा मध्यभारत प्रान्त में २००० से अधिक आबादी वाले ग्रामों में ५२० ग्रामीण विद्यालयो का सञ्चालन किया जा रहा है.
 
 
लज्जाराम तोमर शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान
सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश, भोपाल की योजनानुसार विद्याभारती मध्यभारत प्रान्त के आचार्यो के गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण एवं शिक्षण शोध् के उद्देश्य से 05 सितम्बर सन् 2013 को स्वामी विवेकानंद की 150वीं वर्षगाँठ के पावन वर्ष में प्रशिक्षण एवं शोध् संस्थान की स्थापना की गयी। शारदा विहार भोपाल के रमणीय परिसर में स्थित गोकुलम एवं पं. रामनारायण शास्त्राी भवन में यह संस्थान संचालित है। संस्थान में 80-100 संख्या के वर्ग/प्रशिक्षण आवासीय रूप से सहजता से सम्पन्न हो जाते है। स्व.श्री लज्जाराम तोमर की संकुल प्रशिक्षण संकल्पना को साकार रूप देने का प्रयास इस प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से हो रहा है।
विद्याभारती मध्यभारत प्रांत की योजनानुसार प्रांत का प्रशिक्षण एवं शोध् संस्थान सत्रा 2013 से सतत् प्रशिक्षण एवं शैक्षिक गुणवत्ता वृ(ि के कार्य में लगा है। गत दो वर्षो प्राथमिक, माध्यमिक एवं हाईस्कूल स्तर के आचार्यो का संकुल केन्द्रित विषय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ जिसमें 1400 आचार्यो को तीन दिवसीय शिक्षण कार्यशालाओं के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया गया। सत्रा 2015-16 में हायर सेकेण्डरी विद्यालय के समग्र प्रशिक्षण की योजना बनाकर विद्यालय केन्द्रित प्रशिक्षण जुलाई माह से प्रारम्भ हुए है।
 
संस्कार केंद्र 
विद्या भारती द्वारा महानगरों, नगरों तथा कस्बों में संचालित शिशु मंदिरों तथा ग्राम भारती द्वारा ग्रामों में संचालित विद्यालयों से यह आग्रह किया जाता है कि वे आबादी के उन हिस्सों में संस्कार केन्द्र स्थापित करें जहाॅ तक संस्कारक्षम शिक्षा का प्रकाश नहीं पहुॅच पाया है।
वर्तमान में ३८९ संस्कार केंद्र प्रान्त में संचालित है
 
अभिनव प्रज्ञादीप 
विद्या भारती मध्यभारत प्रान्त द्वारा आचार्यों के स्वविकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत अभिनव प्रज्ञादीप पत्रिका का प्रकाशन विगत दो वर्षों से नियमित किया जा रहा है।
पत्रिका के माध्यम से नए-नए विचारों के माध्यम से आचार्यों में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। विगत दो वर्षों में पाँच नए लेखक उभरकर आए हैं। पत्रिका में एतिहासिक महत्व, विषय शिक्षण, अनुभवी शिक्षाविदांे के साक्षात्कार से अनुभवजनय ज्ञान का लाभ मिला है।
वर्तमान में पत्रिका के 6320 वार्षिक सदस्य है। आगामी सत्रा में, लेख/कविता/कहानी/पर प्रतियोगिता आयोजित करने का संकल्प है।
 
शारदा प्रकाशन
लगभग 1990 से शारदा साहित्य भण्डार के अन्तर्गत सरस्वती शिशु मंदिरों के लिए आवश्यक पाठ्यपुस्तकें एवं स्टेशनरी की छपाई का कार्य होता आ रहा था। इसके बाद से सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान ने विद्यालयों की माॅनिटरिंग करने की योजना पर पुनर्विचार करके नई संरचना बनाई जिसके कारण सन् 2000 तक मध्यभारत प्रान्त में नगरीय, ग्रामीण जनजातीय और सेवा क्षेत्रा में कार्य बहुत तेजी से बढ़ने लगा। इस बढ़ते कार्य को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए संगठन स्तर पर चिंनता होने लगी।
अतः विद्याभारती मध्यभारत में शिक्षा के बढ़ते कार्य की महत्ता को देखते हुए इसे समय रहते सुदृढ़ता प्रदान करने हेतु प्रकाशन की भूमिका क्या और कैसे हो सकती है पर भी विचार किया गया और इस दिशा में शारदा प्रकाशन की भूमिका निश्चित की गई। इस दिशा में पहला कार्य भैया-बहिनों के लिए उपयोगी एवं गुणवत्तापूर्ण पाठ्यपुस्तकें, स्टेशनरी एवं अन्य सामग्री का निर्माण कराना आवश्यक प्रतीत हो रहा था। इसीलिए पुराने न्यास की जगह नए न्यास का गठन नए स्वरूप में नयी आवश्यकताओं एवं व्यवस्थाओं को लेकर पफरवरी 2011 में रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट के अन्तर्गत पंजीकृत कराया गया है।
 
 
 
 
 
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